Wednesday, August 20, 2025

क्षमा मांगने वाला मंत्र

 


पापोहं पाप कर्माहं पापात्मा पाप संभवः। त्राहि मां पुण्डरीकाक्ष सर्वपाप हरो हरी॥

में पापी हूँ, मेरे सरे कर्म पाप के है, मेरी आत्मा भी पापी हो चुकी है, हे नाथ इस पूजा के बाद भी में पाप करने जाने वाला हूँ ! हे कमल के समान नेत्रों वाले, हे सभी पापों को हरने वाले हरी, मेरे सरे पापो का हरण कर लो !!

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥ 

कि हे भगवान, मैं आपको बुलाना नहीं जानता हूं और न ही विदा करना जानता हूं। पूजा करना भी नहीं जानता। कृपा करके मुझे क्षमा करें।

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥

मुझे न मंत्र याद है और न ही क्रिया। मैं भक्ति करना भी नहीं जानता। यथा संभव पूजा कर रहा हूं, कृपया मेरी भूल को क्षमा कर इस पूजा को पूर्णता प्रदान करें। मैं भक्त हूं और पूजा करना चाहता हूं, मुझसे चूक हो सकती है, भगवान मुझे क्षमा करें। मेरा अहंकार दूर करें, मैं आपकी शरण में हूं।

कृष्णाय वासुदेवाय, हरये परमात्मने । प्राणत क्लेश नाशय, गोविंदाय नमो नमः॥

हे कृष्ण, वासुदेव के पुत्र, हरि, परमात्मा, जो सभी दुखों का नाश करने वाले हैं, उन गोविन्द को मेरा बार-बार नमस्कार है।


Tuesday, July 29, 2025

वृंदावन के सात ठाकुर (7 Thakur of Vrindavan)

  


वे सात प्रमुख कृष्ण प्रतिमाएँ हैं जो वृंदावन में प्रकट हुई थीं या जिन्हें वृंदावन में स्थापित किया गया है। ये सात ठाकुर हैं: गोविंद देव जीमदन मोहन जीगोपीनाथ जीजुगल किशोर जीराधारमण जीराधावल्लभ जी और बांके बिहारी जी। 

गोविंद देव जी: जयपुर में स्थापितयह प्रतिमा रूप गोस्वामी को वृंदावन के गौड़ा टीला से प्राप्त हुई थी।



 मदन मोहन जी: करौली (राजस्थानमें स्थापितयह प्रतिमा अद्वैत प्रभु को वृंदावन के द्वादशादित्य टीले से प्राप्त हुई थी।


गोपीनाथ जी: जयपुर में स्थापितयह प्रतिमा संत परमानंद भट्ट को यमुना किनारे वंशीवट पर मिली थी।



जुगल किशोर जी: पन्ना (मध्य प्रदेशमें स्थापितयह प्रतिमा हरिराम व्यास को वृंदावन के किशोरवन से प्राप्त हुई थी।


राधारमण जी: वृंदावन में स्थापितयह प्रतिमा गोपाल भट्ट गोस्वामी को नेपाल की गंडकी नदी में एक शालिग्राम के रूप में मिली थी।



राधावल्लभ जी: वृंदावन में स्थापितयह प्रतिमा हित हरिवंश जी को दहेज में मिली थी।


बांके बिहारी जी: वृंदावन में स्थापितयह प्रतिमा स्वामी हरिदास द्वारा प्रकट की गई थी।


इन सातों ठाकुरों में सेगोविंद देव जीमदन मोहन जीऔर गोपीनाथ जी को मुगलों के आक्रमण के दौरान वृंदावन से अन्य स्थानों पर ले जाया गया थाजबकि राधारमण जीराधावल्लभ जी और बांके बिहारी जी आज भी वृंदावन में ही विराजमान हैं।

Thursday, February 16, 2023

श्री खाटू श्याम चालीसा

श्री खाटू श्याम चालीसा




दोहा:

श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द।

श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चैपाई छन्द।।

चौपाई:

श्याम श्याम भजि बारम्बारा,सहज ही हो भवसागर पारा।

इन सम देव दूजा कोई, दीन दयालु दाता होई।


भीमसुपुत्र अहिलवती जाया, कहीं भीम का पौत्र कहाया।

यह सब कथा सही कल्पान्तर, तनिक मानों इनमें अन्तर।


बर्बरीक विष्णु अवतारा, भक्तन हेतु मनुज तनु धारा।

वसुदेव देवकी प्यारे, यशुमति मैया नन्द दुलारे।


मधुसूदन गोपाल मुरारी, बृजकिशोर गोवर्धन धारी।

सियाराम श्री हरि गोविन्दा, दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा।


दामोदर रणछोड़ बिहारी, नाथ द्वारिकाधीश खरारी।

नरहरि रूप प्रहलद प्यारा, खम्भ फारि हिरनाकुश मारा।


राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता, गोपी बल्लभ कंस हनंता।

मनमोहन चितचोर कहाये, माखन चोरि चोरि कर खाये।


मुरलीधर यदुपति घनश्याम, कृष्ण पतितपावन अभिराम।

मायापति लक्ष्मीपति ईसा, पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।


विश्वपति त्रिभुवन उजियारा, दीनबन्धु भक्तन रखवारा।

प्रभु का भेद कोई पाया, शेष महेश थके मुनियारा।


नारद शारद ऋषि योगिन्दर, श्याम श्याम सब रटत निरन्तर।

कवि कोविद करि सके गिनन्ता, नाम अपार अथाह अनन्ता।


हर सृष्टि हर युग में भाई, ले अवतार भक्त सुखदाई।

हृदय माँहि करि देखु विचारा, श्याम भजे तो हो निस्तारा।


कीर पड़ावत गणिका तारी, भीलनी की भक्ति बलिहारी।

सती अहिल्या गौतम नारी, भई श्राप वश शिला दुखारी।


श्याम चरण रच नित लाई, पहुँची पतिलोक में जाई।

अजामिल अरु सदन कसाई, नाम प्रताप परम गति पाई।


जाके श्याम नाम अधारा, सुख लहहि दुख दूर हो सारा।

श्याम सुलोचन है अति सुन्दर, मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर।


गल वैजयन्तिमाल सुहाई, छवि अनूप भक्तन मन भाई।

श्याम श्याम सुमिरहुं दिनराती, शाम दुपहरि अरु परभाती।


श्याम सारथी सिके रथ के, रोड़े दूर होय उस पथ के।

श्याम भक्त कहीं पर हारा, भीर परि तब श्याम पुकारा।


रसना श्याम नाम पी ले, जी ले श्याम नाम के हाले।

संसारी सुख भोग मिलेगा, अन्त श्याम सुख योग मिलेगा।


श्याम प्रभु हैं तन के काले, मन के गोरे भोले भाले।

श्याम संत भक्तन हितकारी, रोग दोष अघ नाशै भारी।


प्रेम सहित जे नाम पुकारा, भक्त लगत श्याम को प्यारा।

खाटू में है मथुरा वासी, पार ब्रह्म पूरण अविनासी।


सुधा तान भरि मुरली बजाई, चहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई।

वृद्ध बाल जेते नारी नर, मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।


दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई, खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई।

जिसने श्याम स्वरूप निहारा, भव भय से पाया छुटकारा।

 

दोहा:

श्याम सलोने साँवरे, बर्बरीक तनु धार।

इच्छा पूर्ण भक्त की, करो लाओ बार।।